मास्टर जी गाय पर निबंध नहीं लिख पाए(जैसा कल के अखबार में हमाने समाचारों में पढा); हाँ आजकल तो बीस-पच्चीस बरस बाद औलादें अपने बुढें माँ-बाप को भूल जाती है,बिचारी गाय को कोन याद रखे!
मेरा मन हुआ जा रहा है गौ मैया पर,सोच रहा हूँ लगे हाथ में भी क्यों न ट्राई मार लूँ।गौ माता पर में ताजा निबंध लिखकर ओर आप इसको पढकर गऊ माता को सच्ची श्रद्धांजलि देंगे।
तीसरी-चौथी के परचे में गौ-माता पर निबंध आता था लेकिन तब की बातें किसे याद, फिर भी आप निबंध पढ कर ये तय करें कि इस परीक्षा हम फेल हुए थे या पास।
गाय एक उपयोगी ओर भारतीय पालतू जानवर है जिसका गरीब,आम आदमी,व्यापारी,नेता,बाबा लोग अपनी तरह से इस्तेमाल करने को स्वतंत्र है।आम शहरी उसे माता कहता है लेकिन सुबह-सुबह दूध दुह कर गली में हाक देता है बैचारी गाय मा गलियों में इधर उधर मुह मारती फिरती है, शाम को उसे फिर मा की याद आती है ओर वह बछङा लेकर पीछे जाता है बछङे के रम्भाने की आवाज से भोली गाय पुन: घर लौट आती है ओर दूध देती रहती है। दूध सूखने पर उसे आवारा जानवर समझकर बाजार में विदा कर दी जाता है, वहा कांजी हाउस वाले घेरकर गौशाला में भेज देते है,वहा उसकी हालात वृंदावन की विधवाओं जैसी है क्योंकि उसके हिस्से की घास कारकून चर जाते है।
नैतागणों की बदौलत देश में बङे-बङे गौरक्षा आंदोलन हुए,कई नेताओं की नेतागिरी चमक गई,कुछ की तोद फलती-फूलती चली गई पर गाय दिन ब दिन कंकाल तंत्र होती गई ,उनको गौ रक्षा की याद तब आती है जब वे सत्ता से बाहर हो जाते है,लगभग सभी दलों की 'चुनावी वादों की बोरी में' गाय भी शामिल होती है पर,कुर्सी मिलते ही मजदूर,गरीब,किसान की तरह गाय को भी भूल जाते है।
बाबा लोग गरीब को गाय से दूर करने के लिए गौ मास को बंधित करने हेतु आंदोलनरत है, वे गाय को पवित्र व पुण्य पशु बताते नहीं थकते, खुद के हाथों सेवा करना तो दूर की बात साक्षात दर्शन करना भी उचित नही समझते,वे अपने भाषणों,पोस्टरों,कलेंडरो ओर हार्डिंगस में गो माता को महान व हष्ट-पुष्ट बनाते है।आजकल बाबा लोगों अपने प्रवचनों की तरह गौमूत्र को बेचते देखे जा सकते है तब भोली-भाली जनता इन बाबाओं को गाय से भी पवित्र समझ बैढती है।
व्यापारियों ने गऊ के शुद्ध घी के कारखाने लगवाकर गोमूत्र बेचने वाले बाबाजी से अपने घी का प्रचार करवाया, जहाँ देखो वहा उसी ब्रांड का घी खरीदा जा रहा है, बाजार गाय के घी से भरा हुआ है, समझ नहीं आता इतनी गायें बची ही नहीं तो घी कहा से आता है।
कहते है पृथ्वी गाय के सींग पर टिकी है तो कहीं गुस्से में गौ मैया ने सींग से धरती को गिरा दिया तो हमारा क्या होगा? ये जानते हुए भी विराट ह्रदय गौ माता इस भारत की भाग्य विधाता बनी हुई है।